LATEST NEWS:रायगढ़ में किसानों का आक्रोश और चक्का जाम….. हाथियों द्वारा फसल बर्बाद करने पर मुआवजा की मांग…!
रायगढ़ जिले के घरघोड़ा थाना क्षेत्र में किसानों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मुख्य मार्ग पर सैकड़ों की संख्या में जुटे किसानों और ग्रामीणों ने अमलीडीह में चक्का जाम कर दिया। इन ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन उनकी बर्बाद फसलों का उचित मुआवजा दे। हाथियों के कारण किसानों को लगातार आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, और अब किसानों के पास अन्य कोई विकल्प नहीं बचा है।
घटना की शुरुआत तब हुई जब घरघोड़ा वन परिक्षेत्र में विचरण कर रहे हाथियों के एक बड़े दल ने अमलीडीह, भालूमार, सुमड़ा, पंडरीपानी, बैहमुडा सहित आस-पास के कई गांवों की लगभग 50 एकड़ धान की फसलें चौपट कर दीं। यह हाथियों का दल, जिसमें 70 से 80 हाथी शामिल हैं, पिछले कुछ समय से इस क्षेत्र में घूम रहा है और आसपास की फसलों को बर्बाद कर रहा है। किसानों के अनुसार, यह स्थिति रोजमर्रा की समस्या बन चुकी है, लेकिन प्रशासन द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इन हाथियों ने गांव के खेतों को बुरी तरह नष्ट कर दिया, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। धान की फसल बर्बाद होने के कारण किसानों को न केवल आर्थिक हानि झेलनी पड़ी है, बल्कि उनका आने वाले महीनों के लिए खाद्यान्न का भी अभाव हो गया है। इस गंभीर समस्या के कारण क्षेत्र के सैकड़ों किसान नाराज होकर चक्का जाम करने के लिए सड़कों पर उतर आए।
इस चक्का जाम में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। महिलाएं इस आंदोलन का अहम हिस्सा हैं क्योंकि फसल बर्बादी का असर उनके घरों की दैनिक जीवनचर्या पर भी पड़ा है। महिलाओं ने प्रशासन से अपील की है कि वे उनके परिवारों की स्थिति को समझें और तत्काल मुआवजा दें ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। किसानों का कहना है कि उन्हें हाथियों के आतंक से राहत दिलाने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाना चाहिए।
इस समस्या के साथ ही क्षेत्र में बिजली कटौती का मुद्दा भी जुड़ा हुआ है। किसानों के अनुसार, इस क्षेत्र में हाथियों के चलते लगातार बिजली काटी जा रही है। हाल ही में हाथियों के दल में तीन हाथियों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से बिजली कटौती और भी अधिक बढ़ गई है। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। किसानों का कहना है कि बिजली कटौती से उनका रोजमर्रा का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। किसानों को ना केवल अपनी फसलों का नुकसान उठाना पड़ा है, बल्कि उन्हें बिजली कटौती से अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
बिजली कटौती के कारण ग्रामीणों को रोजमर्रा के कार्यों में कठिनाई हो रही है। सिंचाई कार्य में रुकावट, रात के समय हाथियों से बचाव में परेशानी और बिजली की कमी से बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए और बिजली कटौती पर तुरंत रोक लगानी चाहिए ताकि वे इस संकट से राहत पा सकें।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग और प्रशासन द्वारा समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते उन्हें इस स्थिति का सामना करना पड़ा। किसानों का कहना है कि वन विभाग ने उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया और ना ही हाथियों को नियंत्रित करने के लिए कोई ठोस उपाय किए गए। प्रशासन की इस लापरवाही के कारण किसानों का गुस्सा फूट पड़ा है और वे मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।
किसानों का यह भी कहना है कि वे बार-बार वन विभाग से हाथियों की समस्या को लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया गया। इस उपेक्षा के चलते किसानों ने अब अपने हक के लिए आंदोलन का रास्ता चुना है। किसानों का मानना है कि चक्का जाम करने से प्रशासन की नींद खुलेगी और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
किसानों की मुख्य मांग यह है कि उन्हें उनकी बर्बाद हुई फसल का मुआवजा दिया जाए। किसानों का कहना है कि फसल बर्बाद होने से उनकी आजीविका पर भारी असर पड़ा है, और वे इस स्थिति में हैं कि उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि सरकार उनकी समस्याओं को सुने और फसलों का मुआवजा शीघ्र प्रदान करे।
इस आंदोलन में शामिल किसानों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी, तो वे आगे और भी बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे।
यह घटना रायगढ़ क्षेत्र में किसानों की दुर्दशा और प्रशासनिक अनदेखी को उजागर करती है। इस तरह के आंदोलनों से यह स्पष्ट है कि किसानों की समस्याओं को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए और किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए आवश्यक मुआवजा देना चाहिए। साथ ही, हाथियों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए वन विभाग को जरूरी उपाय अपनाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
इस घटना ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि वे समय रहते इस समस्या को हल नहीं करते हैं, तो किसानों का यह आक्रोश और बढ़ सकता है।