LATEST ARTICLE: बापू के “हे राम,,”या गोडसे के जय श्री राम”!मुंबई की घटना नई है पर मुद्दा वही है,,,
जब मिट्टी,पानी और हवा ने अपना रंग नहीं बदला तब फिर रोटी कैसे राम और रहीम की हो गई???
धर्मांधता के चरम पर आ पहुंचा है,,दुनिया का सबसे बाद धर्मनिरपेक्ष देश,,
10 सालों से देश की सत्ता में काबिज धार्मिक सत्ता ने देश को अंतराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक या समाजिक रूप से भले कोई पहचान नहीं दी हो,,पर कट्टर मुस्लिम देशों की तरह हिंसक,उन्मादी,पिछड़ा और बेरोजगारो का देश जरूर बना दिया है,,,
सोचिए जिस जय श्री राम के नारे से हम आप में अभय,सुरक्षा और का बोध होता था,,वो आज राजनीतिक गुंडों को संरक्षण देने वाला शब्द कैसे बन गया..??
जिस राम राज्य में बिना भेदभाव और असमानता के हर जाति धर्म के लोगों का पालन पोषण होता था,उसकी तुलना में आज हम कितने क्रूर,कट्टर और हिंसक हो गए है,,दूसरे का तो छोड़िए और विचार कीजिए कि हमारे बीच हमारे धर्म के ही पिछड़े,दलित और गरीब लोगों के अलावा महिलाएं यहां तक कि मासूम बच्चियां भी कितनी सुरक्षित हैं,,??आज आपके राम राज्य में हर घंटे में करीब 40 नारियां अपना सम्मान और नियंता गंवाती है,,फिर भी आप अपने आपको को पूरी निर्लज्जता से राम भक्त कह कैसे लेते हैं,??
ऐसा एक दिन भी नहीं बीतता जब हमारे महान सनातन धर्म का चोला ओढ़े कोई ढोंगी ने धर्म के नाम का व्यापार करते हुए,स्त्री की इज्जत लूटते हुए या किसी गरीब/मजबूर के प्रति गैर जरुरी हिंसा करते हुए अथवा धन की ठगी करते हुए सामने नहीं आता हो,, बहुतों ने तो इन कुकर्मों के साथ बड़ी शान से जय श्री राम का नारा भी लगाने में गुरेज नहीं किया है,, फिर भी हम हमारी सालों पुरानी गंगा जमुनी तहजीब को मिटाने में लगे है,, हम हमसे भिन्न राजनीतिक या समाजिक विचार रखने वाले हमारे ही अपने ही भाईयों को बड़ी शान से पाकिस्तानी,नक्सली,देश द्रोही और लोकतंत्र विरोधी कहने लगते हैं..??
आज जब देश के सामने बढ़ती गरीबी,बेरोजगारी,महंगाई और प्रदूषण के साथ आंतरिक सुरक्षा अस्थिर अर्थव्यवस्था जैसी बड़ी चुनौतियां खड़ी है,,उसके अलग हम झूठ दिखाने और सत्ता के फर्जी गुणगानों सहित सामाजिक और धार्मिक गुंडों के महिमा मंडन को प्रमुखता देने में व्यस्त है,,
तमाम ऐसी शर्मनाक घटनाओं के बीच अति तो ये हो गई जब लंगर(मुफ्त भोजन सेवा)जैसी हमारी महान मानवीय परम्परा को धार्मिक रंग देना शुरू कर दिया है,,
हाल ही में सोशल मीडिया में वायरल एक वीडियो जिसमें मुंबई के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल के बाहर के कट्टर धार्मिक मानसिकता से ग्रस्त एक व्यक्ति जो लंगर में खड़े भूखे मजबूर लोगों से उनका धर्म पूछ कर या जय श्री राम का नारा लगाने पर भोजन देने की बात कहता दिख रहा है इस शर्मनाक घटना की चर्चा किया जाना जरूरी है,,
क्या हमारे देश की खेतों की मिट्टी ने अपना रंग बदल कर भगवा या हरा कर लिया है ?? क्या नदी,तालाबों और पोखर, कुओं और नहरों के पानी का रंग बदल गया है?? क्या हमारे देश की हवा ने भी अपनी जाति धर्म का बोध हमें करा दिया है?? या फिर पेड़ों में फलने वाले फलों और खेतों में उगने वाले अनाजों और सब्जियों ने अपनी धार्मिक पहचान अलग अलग कर हमें बता दी है?? क्या गुरुद्वारों में लगने वाले लगने लंगर में रोटियां जाति धर्म पूछ कर दी जाने लगी हैं??
शायद नहीं…..
क्या अस्पताल में इलाज कर रहे डॉक्टरों ने हमसे हमारा धर्म पूछा है?? या जीवन रक्षक दवाइयां बनाने वाली कंपनियों ने हमसे हमारा धर्म जाति पूछी है?? या फिर बल्ड बैंक के बाहर हिंदू,मुस्लिम,दलित,शूद्र या ब्राह्मण,क्षत्रिय और वैश्य के खून की अलग_अलग पहचान बताई गई है??
नहीं बिल्कुल नहीं।।।।
इसे छोड़िए आज आपमें से कोई ये बता सकता कि हमारी रसोई के आने वाला अनाज व मसाला और हमारे पूजा की टोकरियों में रखे फुल और फल राम के खेत से आए या अब्दुल की बाड़ी से लाकर बेचे गए हैं,,,या हमारी जेब पर्स और आलमारियों में रखा नोट कितने जाति धर्म और सम्प्रदाय के लोगों के हाथों से चलकर हमारे पास तक आया है,,?? इन नोटों को किस धर्म के लोगों ने बनाया है?? हमारे आभूषणों का सोना चांदी किस देश से लाया गया है उसे किस जाति धर्म के कारीगर ने बनाया है?? हमारे शरीर पर पहना हुआ कपड़ा किसके हाथ से बना है??
नहीं कोई नहीं बता सकता..
फिर किस अधिकार से हम भूखे और प्यासे को दी जाने वाली रोटी और पानी का धर्म राम या रहीम का बनाने लग गए है..??
नहीं बना सकते,,इसलिए कहता हूं,कि आप जैसे मुट्ठीभर मतलबी लोगों के लिए,,प्रभु श्री राम के मायने कुछ और हो सकते है,,पर मेरे लिए तो उनका आदर्श कुछ अलग ही मायने रखता है,,मैं उस प्रभु श्री राम की पूजा करता हूं,जिन्होंने अपने महान जीवनकाल में कभी किसी के साथ जातिगत भेदभाव नहीं किया,,कभी कही उद्दंडता व गैर जरुरी हिंसा नहीं की,, कभी कही अभद्र आचरण पेश नहीं किया,, और कभी भी अपने बल तथा पुरुषत्व का दुरुपयोग किसी निरीह,गरीब या निहत्थे पर नहीं किया।। न ही कभी आपने ने अपने प्रलयअंकारी शस्त्रों का अनुचित लाभ अपने निजी हित के लिए नहीं किया।। बल्कि मेरे प्रभु श्री राम तो मानव/जीव सेवी,समभावी, न्यायप्रिय,शरणागत वत्सल,अभयदानी,त्याग_शांति के समर्थक तथा उच्च कोटि के चरित्र को प्राथमिकता देने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम हैं।।
*नितिन सिन्हा….✍️*
गांधीवादी
पत्रकार*