धर्मजयगढ़ के बिरहोर कोरवा आदिवासी समाज के लिए करोड़ों खर्च, अब शेरबंद कोल ब्लॉक में आ सकती है जमीन।

छत्तीसगढ़ टुडे 24 न्यूज़ धर्मजयगढ़ —धरमजयगढ़ जनपद पंचायत के खलबोरा गांव के बिरहोर आदिवासी समाज के लिए कई करोड़ रुपये खर्च किए गए। उनके लिए बनाए गए मुर्गी पालन,बकरी पालन ,गाय का कोठा मिल्कयूनिट ऐसे ही पड़े है।धरमजयगढ़ के ग्राम पंचायत दर्रीडीह के आश्रित ग्राम खलबोरा में गरीबी मुक्त अवधारणा के तहत पशुधन विकास से संबंधित गतिविधियों के संचालन के लिए (गाय, बकरी, खरगोश पालन) के लिए पशु चिकित्सा विभाग को 30.59 लाख रुपए दिए गए थे। मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट कम ट्रेनिंग सेंटर के लिए भी 12.60 लाख रुपए जनपद पंचायत धरमजयगढ़ को दिए गए थे। इसके अलावा निर्माण कार्यों के लिए अलग से राशि दी गई थी।इसका रिजल्ट अब तक शून्य ही है। न तो जनपद सीईओ ने ध्यान दिया और न ही जिला मुख्यालय के अधिकारियों की नींद टूटी। अब कहा जा रहा है कि यह क्षेत्र एक कोल ब्लॉक को आवंटित जमीन के दायरे में आ रहा है। कोल मिनिस्ट्री ने धरमजयगढ़ में शेरबंद कोल ब्लॉक को नीलकंठ माइनिंग प्रालि को आवंटित किया है। कमर्शियल माइनिंग के लिए आवंटित इस कोयला खदान की सीमाएं धरमजयगढ़ तहसील के अंतर्गत हैं। बताया जा रहा है कि इस कोल ब्लॉक के तहत दर्रीडीह के पास खलबोरा नामक गांव भी आ रहा है। यह गांव बिरहोर बाहुल्य है जिसको संरक्षित आदिवासी माना जाता है।कंपनी ने सर्वे शुरू किया तो उनको एक ऐसा परिसर मिला जहां करीब पांच करोड़ रुपए खर्च कर मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट बिल्डिंग, गाय कोठा, बकरी पालन शेड, मुर्गी पालन शेड समेत कई तरह के निर्माण हुए हैं। मजे की बात यह है कि कोयला मंत्रालय ने पहले ही इस क्षेत्र को कोयला धारित क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया था। जनपद पंचायत धरमजयगढ़ की देखरेख में यहां पूरा परिसर बनाया गया। इसके नीचे कोयले का भंडार है। कंपनी यहां कोयला खनन करेगी। बिरहोर परिवारों के लिए यह निर्माण हुए थे लेकिन इसमें से एक का भी उपयोग नहीं हो रहा है।
बचेगी या उजड़ेगी बस्ती
नीलकंठ कोल माइनिंग को मिले कोल ब्लॉक में बिरहोरों के लिए बनाया गया परिसर भी आता है। दर्रीडीह पंचायत के अधीन खलबोरा में यह निर्माण हुआ है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या कोयले के लिए यह परिसर भी उजाड़ दिया जाएगा। जितना खर्च यहां किया गया है, उस पर भी सवाल उठ रहे हैं।