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छाल और बरौद कोल माइंस में शुरू होंगे साइलो

  • फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी के तहत हो रहा निर्माण, डिस्पैच की रफ्तार बढ़ाने पर काम

रायगढ़, 4 जनवरी। इस साल रायगढ़ के कोयला परिवहन क्षेत्र में एसईसीएल एक बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। डिस्पैच को रफ्तार देने के लिए साइलो का निर्माण किया जाएगा। दीपका व कुसमुंडा के अलावा बरौद और छाल में इसकी शुरुआत हो जाएगी।कोयला मंत्रालय ने फस्र्ट माइल कनेक्टिविटी के तहत पर्यावरण हितैषी परियोजनाओं की शुरुआत की है। रोड के जरिए कोयले का परिवहन कम करने के लिए रेल लाइन बिछाई जा रही है। वहीं मैन्युअली लोडर मशीन से कोयला लोड करने के बजाय साइलो का निर्माण किया जा रहा है। रायगढ़ के बरौद और छाल में इस साल शुभारंभ हो जाएगा। कोयला उद्योग में सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए एसईसीएल द्वारा किए जा रहे प्रयासों में इस वर्ष और बल मिलेगा और कंपनी द्वारा इस वर्ष 4 एफएमसी परियोजनाओं की शुरुआत की जाएगी।एसईसीएल के दीपका क्षेत्र में दीपका साइलो, रायगढ़ क्षेत्र में छाल एवं बरौद सीएचपी तथा कुसमुंडा क्षेत्र में कुसमुंडा सेंट्रल इन-पिट कन्वेयर की शुरुआत की जाएगी। लगभग 1200 करोड़ से अधिक की लागत से बनी इन परियोजनाओं की मदद से प्रति वर्ष कुल 40 मिलियन टन से अधिक कोयला प्रेषण करने में मदद मिलेगी। दीपका साइलो (दीपका क्षेत्र) की क्षमता 25 एमटी और लागत 211 करोड़ है। यहां 3000 टन क्षमता के दो आरसीसी साइलो, 20000 टन क्षमता का एक आरसीसी बंकर, 4500-8500 टन प्रति घंटा क्षमता का रैपिड लोडिंग सिस्टम होगा। वहीं छाल सीएचपी में क्षमता 6 एमटी और लागत 173 करोड़ है। छाल में 3000 टन क्षमता का एक आरसीसी साइलो, 10000 टन क्षमता का एक आरसीसी बंकर और 4500-8500 टन प्रति घंटा क्षमता का रैपिड लोडिंग सिस्टम होगा। जबकि बरौद में सीएचपी क्षमता 10 एमटी और लागत 216 करोड़ है।


बरौद की क्षमता भी बढ़ेगी

फिलहाल एसईसीएल ने बरौद की क्षमता बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति मांगी है। यह आवेदन लंबित है। छाल और बरौद में साइलो बन जाने से कोयले का डिस्पैच तेज हो जाएगा। इसके बाद रैक से 75 प्रश तक कोयला भेजा जा सकेगा। रोड परिवहन बेहद कम हो जाएगा। इससे प्रदूषण भी कम होने की उम्मीद है।

Aslam Khan

मेरा नाम असलम खान है, मैं MaandPravah.com का संपादक हूँ। इस पोर्टल पर आप छत्तीसगढ़ सहित देश विदेश की ख़बरों को पढ़ सकते हैं।

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