हाथी प्रभावित तीन जिलों के सरहदी ग्रामों से घिरे क्षेत्रों में, जान जोखिम में डालकर भी सीमित संसाधनों के साथ, विषम स्थितियों और जन सहयोग के अभाव में भी वन परिक्षेत्र अधिकारी कापू पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभा रहे अपना फर्ज,मीडिया से साझा किया वन कर्मचारी अधिकारी का दर्द…।पढ़िए ये खास रिपोर्ट..!


ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि और आम जनता का नहीं मिल पा रहा सहयोग।
जनप्रतिनिधि,जनता,और अन्य विभाग सभी के सहयोग से ही रोका जा सकता है मानव हाथी के बीच संघर्ष…ए.एस किंडो रेंज अफसर कापू!
न्यूज एडीटर असलम खान की खास रिपोर्ट ✍️धरमजयगढ़/कापू:–
हाथी मानव के बीच संघर्ष को कम करने हाथी प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में वहां रहने बसने वाले समुदाय की भी अहम भूमिका होती है,उनकी सहभागिता और सहयोग के बिना हाथी मानव द्वंद को केवल वन विभाग के सीमित संसाधनों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।जिस प्रकार जंगल सबका है उसी प्रकार वहां रहने वाले प्राणियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी हम सभी मानव जाति का कर्तव्य है,इस रोचक किंतु गंभीर विषय पर चर्चा करते हुए कापू वन परिक्षेत्र अधिकारी ने मांड प्रवाह वेब पोर्टल मीडिया से जानकारी साझा करते हुए बताया की हाथी प्रभावित तीन जिलों के सरहदी इलाकों में अपनी ड्यूटी निभाना किस तरह अपने आप में चैलेंजिंग भरा कार्य है,यहां वन अमला किन विषम परिस्थितियों में ड्यूटी निभा रहे हैं,यहां किस तरह नाना प्रकार की परेशानी सामने आती है और उन समस्याओं को वन अधिकारी कर्मचारी कैसे मैनेज करते हैं,यह बहुत करीब से समझने वाली बात है, रेंज अफसर ने महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए बताया,की वन परिक्षेत्र कापू में बिगत वर्ष 2016 से लगातार हर साल “गौतमी दल” हाथियों का समूह उड़िसा से आकर मैनपाट के तराई वन परिक्षेत्र कापू के जंगल माह जनवारी में आकर माह अगस्त तक याने 08 माह तक विचरण करता है, इसके बाद वापस 04 माह के लिए उड़िसा चला जाता है। अभी बर्तमान में उक्त हाथी दल 13 पहाड़ीयों से उतर कर उड़िसा जाने के लिए 5.5 Km की कृषि धान फसल को खाते, रौदते हुए कक्ष क्र.,52 RF छेना पतरा नामक जंगल रकबा 146.15 हेक्टर में 28 सितम्बर से विचरण कर रहा है।

यह जंगल 5 से 10 Km दूर कृषि धान फसल से घिरा हुआ है.यहां आपको बता दें चारो दिशा में सरगुजा जिला के पंचायत हर्रामार,जामकनी,जामढ़ोही, कोटछाल, डंगबूड़ा.समेत जशपुर जिला के पंचायत बहनाटांगर, किलकिला,ईला,कुनकुरी,नरायणपुर.और रायगढ़ जिला के पंचायत अलोला विजयनगर, जाताटिकरा, लिप्ती, गोलाबुड़ा, तालगांव,ढूड़बहार स्थित है .
यहां के लोग उनके ग्राम पंचायत की ओर न आये यह सोचकर पूरी रात्रि रतजगा कर हाथीयों को आगे बढ़ने से रोकते हैं .ऐसे हालात में वन विभाग के पास बड़ी समस्या यह है कि पर्याप्त साधन के बिना कम स्टाफ के साथ इतने बड़े एरिया में सभी क्षेत्र को आखिर मैनेज कैसे करें.
लेकिन उसके बवजूद भी विभाग द्वारा सभी पंचायत में सरपंच गणमान्य नागरिक से सम्पर्क कर उन्हें समझाबुझा कर किसी तरह से मैनेज किया जा रहा है .
इन मायनो में हालात पर काबू पाने पुलिस बल का सहयोग तो लिया गया लेकिन उपलब्धता के आधार पर बल मिला जो की साधन विहीन और अप्रयाप्त है।.

विदित हो की दिनांक 05/10/2024 के दरमियान रात्री में हाथी वन क्षेत्र से निकलकर लिप्ती एवं हर्रामार के बीच से विचरण करते हुए ,3 Km निकलकर आगे बढ़ने लगे, जिसकी जानकारी लोगों को पता चलने के उपरांत सभी दिशाओं से एक साथ टार्च लेकर निकले किंतु रास्ता ब्लाक होने की वजह से वापस 52 Rf में लौट गया. इस दौरान वन विभाग के द्वारा ट्रेकिंग कर लोगों को समझाया गया, लेकिन चारो दिशा से आने के कारण प्रयाप्त नहीं रहा .

उक्त दौरान वन स्टाफ द्वारा अपनी दूपहिया वाहन से प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया गया, यहां तक की वाहन को खड़ाकर पहुंचविहीन पगडंडी मार्ग से आगे कृषि क्षेत्र के लोगों को समझाने गये, उनके वापसी होने पर कुछ अज्ञात शरारती तत्वों द्वारा वन अमला के मोटरसाईकिल पहिए से हवा निकाल दिया गया था। अब ऐसे हालात में वन परिक्षेत्राधिकारी के द्वारा वाहन से प्रभावित छेत्र का दौरा करने पर भीड़ के द्वारा पत्थर मार कर चार पहिया वाहन के सामने का शीसा तोड़ दिया गया.अब ऐसे हालात में जहां लोगों को साथ देना चाहिए,वहां लोगों में विभाग के प्रति नकारतमक भाव देखने मिला तब की स्थिति में संजीदगी के साथ सोचने का मकाम है की वन कर्मचारी ,अधिकारी वन्य प्राणी की सुरक्षा करें, या लोगों के जानमाल की.या फिर अपनी खुद की सुरक्षा करें? या फिर अपने वाहन की सुरक्षा को देखें,ये काफी गंभीर विषय है जिस पर सभी बुद्धिजीवी लोगों को मंथन करने की नितांत आवश्यकता है,बहरहाल इन गंभीर समस्याओं का हल कैसे निकलेगा यह तो समय ही बतायेगा.!

बहरहाल कापू वन अमला अपितु कम संख्या बल होने और अपर्याप्त संसाधनों के बावजूद,अपने रेंज अफसर की अगुवाई और विभाग के उच्च अधिकारी के उचित मार्गदर्शन से अपनी तमाम परेशानी,और मुसीबतों से लड़ते हुए वन्यप्राणियो की सुरक्षा,और लोगों को जन धनहानि न हो इसके लिए पूरी निष्ठा और ईमानदारी से अपने कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं।अब समय को देखते हुए क्षेत्र के खास,आम सभी लोगों को इस दिशा में अपनी सकारात्मक सोच, व जागरूकता दिखाते हुए,विभाग का साथ देना चाहिए इसी में सबकी भलाई होगा,पर्यावरण सुरक्षित है तो मानव जीवन सुरक्षित है ,जंगल है तो कल है।
