संयुक्त पत्रकार महासभा की हुंकार, पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन!
रायपुर मांड प्रवाह/ गॉस मेमोरियल मैदान में आयोजित संयुक्त पत्रकार महासभा में आज राज्यभर के पत्रकारों ने जोरदार हुंकार भरी। महासभा के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को ज्ञापन सौंपते हुए पत्रकार सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की।
महासभा में पारित संकल्प पत्र में प्रमुख रूप से “पत्रकार सुरक्षा कानून”, “मीडिया आयोग की स्थापना” और “पत्रकारों के लिए आवास”, “वेतन” , “स्वास्थ्य एवं पेंशन सुविधाओं” जैसे मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया। महासभा ने जनहित और लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए इन मुद्दों को बेहद आवश्यक बताया।
पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग…
पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए महासभा ने मीडियाकर्मी सुरक्षा कानून को संशोधित और लागू करने की मांग की। वर्तमान समय में पत्रकारों को असामाजिक तत्वों, माफियाओं, और आपराधिक संगठनों से लगातार धमकियां मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में कई पत्रकारों की हत्या की घटनाएं हुई हैं, जिससे पत्रकार समुदाय में भय का माहौल है।
मीडिया आयोग की स्थापना….
महासभा ने “मीडिया आयोग” के गठन की मांग की, जो पत्रकारिता के बदलते स्वरूप और चुनौतियों का अध्ययन कर उचित सिफारिशें प्रस्तुत कर सके। इसके अलावा, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया को भी शामिल करते हुए “मीडिया काउंसिल ऑफ इंडिया” में बदलने की मांग भी उठाई गई।
पत्रकारों के लिए कल्याणकारी योजनाएं….
महासभा ने पत्रकारों के कल्याण हेतु कई मांगें रखीं, जिनमें पत्रकार कल्याण कोष, वेतन बोर्ड का गठन, और पत्रकारों को स्वास्थ्य सुरक्षा और पेंशन योजना का लाभ देने पर जोर दिया गया। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों के लिए उचित वेतन देने की मांग की गई।
बहरहाल संयुक्त पत्रकार महासभा ने राज्य सरकार से अपील की है कि पत्रकारों की सुरक्षा और कल्याण के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। महासभा ने पत्रकारों को आवास, स्वास्थ्य, और पेंशन जैसी सुविधाओं को भी प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल दिया है।
महासभा के प्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपने के बाद स्पष्ट किया कि यदि इन मांगों पर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो पत्रकार समुदाय को अपने हितों की रक्षा के लिए बड़े आंदोलन की दिशा में कदम उठाना पड़ेगा।