पूर्व सरकारी कर्मचारी ने कैसे सरकार की नीतियों का मज़ाक बनाया – तारागढ़ पंचायत में भ्रष्टाचार…..!


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तारागढ़ लैलूंगा:- तारागढ़ पंचायत में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इसे न केवल पंचायत, बल्कि पूरे इलाके का भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जा सकता है। पंचायत के सरपंच ने अपनी पूर्व सरकारी अधिकारी की पृष्ठभूमि का फायदा उठाते हुए योजनाओं में हेराफेरी का नया रास्ता खोज निकाला है। यह सरपंच सरकारी नीतियों को भलीभांति समझता है और उन्हीं नीतियों का गलत फायदा उठाकर जनता के हक का पैसा डकार रहा है।
सचिवों के लगातार बदलते जाने से स्पष्ट है कि सरपंच किसी भी सचिव को अपने प्रभाव में नहीं आने देता और उन्हें बार-बार हटाता रहता है। आमतौर पर, अन्य पंचायतों में सरपंच और सचिव मिलकर घोटाले करते हैं, लेकिन इस सरपंच ने अपने भ्रष्टाचार के खेल में सचिवों को बाहर ही रखा है।

श्रम घोटाला:
पंचायत में श्रमिकों के नाम पर बड़ी धांधली हो रही है। नकली मजदूरों के नाम पर पैसा निकाला जा रहा है, और असली मजदूरों को उनके काम के बदले नाम मात्र की रकम दी जा रही है। श्रमिकों को रोजगार गारंटी योजना के तहत आने वाली सुविधाओं से भी वंचित रखा जा रहा है।
बोर खनन घोटाला:
बोर खनन परियोजनाओं में भी भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। कागजों में कई बोर खनन का काम दिखाया गया है, जबकि असलियत में इनका कोई अता-पता नहीं है। ये बोर लोगों को पानी देने के बजाय सरपंच और ठेकेदारों की जेबें भर रहे हैं।
स्टेशनरी घोटाला:
स्टेशनरी खरीद में भी बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आ रहे हैं। पंचायत के लिए खरीदी गई स्टेशनरी महज कागजों पर खरीदी गई है, जबकि ज़मीन पर कोई भी सामान मौजूद नहीं है। इन कागजी घोटालों की वजह से विकास कार्य ठप पड़े हैं।
तारागढ़ पंचायत के लोग इस सरपंच को ‘भ्रष्टाचार का बादशाह’ तक कहने लगे हैं, और उसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले दबाए जा रहे हैं। यह मामला जिले भर में चर्चा का विषय बन चुका है, लेकिन प्रशासनिक चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं।