✍️LATEST ARTICLE: टूटता परिवार घटता विश्वास और लगातार सामने आती अत्याशित घटनाएं,, सोचिए सभ्य और संस्कृति सम्पन्न हमारा समाज किस दिशा में मुड़ गया है??💥💥

विचार कीजिए,,,प्रस्तुत दो दिल दहला देने वाली घटनाओं को ध्यान में रखकर जिसने हमारे समाज को झकझोर दिया है…
पहली घटना डॉ. सुमित मित्तल — जो अलवर के प्रसिद्ध मानसिक रोग विशेषज्ञ थे,आप दूसरों को अवसाद से बाहर निकालते थे, खुद ही घरेलू कलह से इतने टूट गए कि फंदा लगाकर अपना जीवन समाप्त कर लिया।
मिली जानकारी के अनुसार,डॉक्टर मित्तल की वर्ष
2013 में शादी हुई थी,
2023 में उनका पत्नी से अलगाव हो गया,,
2024 में तलाक और बेटे की कस्टडी के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी, पारिवारिक तनाव और कोर्ट कचहरियों के चक्कर से टूट चुके थे डॉ मित्तल.

ध्यान देने योग्य बात यह है कि 2021 में डॉक्टर मित्तल को एक बड़ा और प्रतिष्ठित सम्मान मिला था,मगर मानसिक तनाव के आगे उन्होंने खुद हार मान ली।
वहीं दूसरी घटना 2️⃣ पंडरी (कैथल) — एक मां ने अपनी दो विवाहित बेटियों के साथ कीटनाशक खाकर जान दे दी।
बताया गया कि बड़ी बेटी का पति जो अमेरिका में रहता है वह उन्हें लगातार भेजता था धमकियाँ
छोटी बेटी की अभी 3 महीने पहले हुई थी शादी
तीनों ने मिलकर आत्महत्या कर ली — एक सामूहिक पीड़ा की खामोश चीख।
क्या हो गया है हमारे समाज को?
जिस डॉक्टर ने हज़ारों को जीने की वजह दी,वो खुद ही बड़ी जल्दी अकेलेपन से हार गया।
जिस मां ने अपनी बेटियों को हर दुख से बचा कर बड़ा किया, आखिर में उन्हीं के साथ जीवन छोड़ने को मजबूर हो गई।
ये सिर्फ “खबरें” नहीं हैं — ये हमारी व्यवस्था, रिश्तों और संवेदनशीलता पर बड़े सवाल हैं।
एनसीआरबी (NCRB) रिपोर्ट में, पारिवारिक कलह से जान देने वाले आत्महत्या के कारणों में से एक प्रमुख कारण के रूप में दिखाई देते हैं। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या के शीर्ष पांच कारणों में पारिवारिक समस्याएं और मानसिक स्वास्थ्य चिंताएँ शामिल हैं. लगभग 50% से अधिक आत्महत्याओं के लिए पारिवारिक समस्याएं ही जिम्मेदार मिली हैं.
NCRB के अनुसार बीते वर्ष शादी, प्यार और घरेलू विवाद की वजह से 5079 लोगों ने अपनी जान दे दी है। इन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2021 के मुकाबले 2022 में आत्महत्या के 2244 ज्यादा मामले सामने आए। 2021 में जहां 5932 लोगों ने आत्महत्या की तो 2022 में इनकी संख्या 37.8 प्रतिशत बढ़कर 8176 हो गयी। इनमें 5225 पुरुष और 2951 महिलाएं हैं।
विशेष बात यह है कि आम तौर पर शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद सशक्त माने जाने वाले भारतीय सेना और अर्धसेना के जवान तथा अधिकारी भी बड़ी संख्या में पारिवारिक क्लेश के चक्रव्यूह में उलझकर अपनी जान अपने हाथों से लेने लगे हैं।
अब वक्त आ गया है कि हम मानसिक स्वास्थ्य,घरेलू कलह, और रिश्तों में हो रहे भावनात्मक अत्याचार को गंभीरता से लें।
क्योंकि खुद अपनी हाथों से अपनी जान लेने का यह सिलसिला अब हर हाल में रोका जाना चाहिए।।
संकलित लेख…✍️
नितिन सिन्हा
संपादक
खबर सार।।
