रायगढ़ में 50 से दुकानों को आरआरसी जारी लेकिन वसूली जीरो आखिर सरकार को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा???
रायगढ़। गरीबों के हक पर डाका डालने वाले राशन दुकान संचालकों पर प्रशासन मेहरबान है। लाखों-करोड़ों का खाद्यान्न खुले बाजार में बेचने वालों पर कार्रवाई ही नहीं की गई। जिनके कार्यकाल में गबन हुआ था, उनमें से ज्यादातर सस्पेंड होकर मौज उड़ा रहे हैं। खाद्यान्न गबन में खाद्य विभाग की सबसे बड़ी भूमिका हे। बीते पांच साल में ऐसे लोगों के हाथ में दुकानें सौंप दी गईं, जिनका काम ही चोरी करना था। गरीबों के लिए आए मुफ्त चावल को बांटा ही नहीं। यह चावल बैकडोर से वापस राइस मिलों में पहुंच गया।रायगढ़ जिले में 140 दुकानों में 4.67 करोड़ रुपए का चावल, 140 दुकानों में 46 लाख रुपए का शक्कर और 99 दुकानों में 69 लाख रुपए का चना गायब मिला। 5.82 करोड़ की सामग्री हितग्राही को नहीं मिली। रायगढ़ में 1315 एमटी चावल, 128 एमटी शक्कर और 126 एमटी चना को दुकानों से गायब कर बाहर बेच दिया गया। हितग्राहियों से कहा गया कि सरकार ने सामग्री नहीं भेजी। खाद्य विभाग ने कई महीनों तक इस मामले को दबाया। विस चुनाव के पहले भाजपा ने राशन घोटाले को प्रमुखता से उठाया। भ्रष्टाचार के कारण ही कांग्रेस सरकार के खिलाफ माहौल बना।मामला सामने आया तो चुपचाप 134 दुकानों पर दिखावे की कार्रवाई हुई। चावल गबन में 23 दुकानों को निलंबित, 30 को निरस्त और 53 को आरआरसी जारी हुई है। शक्कर गबन में 22 को निलंबित, 22 को निरस्त और 50 को आरआरसी जारी किया गया। चना में 4 दुकान निलंबित, 21 निरस्त और 50 को आरआरसी जारी किया गया है। चावल गबन करने वाले चार दुकानों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की गई है। आरआरसी वसूली करने में राजस्व विभाग लचर है। एक भी दुकान संचालक से वसूली नहीं की जा सकी है। सरकार को जो नुकसान हुआ, वह कौन भरेगा।