
धरमजयगढ। प्रकृति ने बीती रात से बरसाए झमाझम जलधाराओं ने धरमजयगढ़ अंचल को मानो जलराशि के घेरे में ले लिया है। गाँव-गाँव में बहते नदी-नाले उफान पर आ गए हैं। ग्राम पंचायत कुमा के आश्रित ग्राम इंचपारा और पेलमा में बनी नदियाँ व नाले उग्र रूप धर चुके हैं।बता दें,सुबह शिक्षा की तलाश में विद्यालय पहुँचे मासूम बच्चे भी उफनती नदी के इस पार ही ठिठककर खड़े रह गए।

शिक्षकगण भी जलराशि में फँसे हुए हैं, मानो नदी की गर्जना ने उन्हें कैद कर लिया हो। दोनों किनारों पर खड़े ग्रामीण सुरक्षा कवच बनकर बच्चों और शिक्षकों की निगरानी कर रहे हैं।लेकिन वहीं वर्षा की निर्मम बौछारों ने नगर और गाँवों का आपसी संपर्क तोड़ दिया है। मार्ग अवरुद्ध हैं, आवागमन संकटग्रस्त है। ग्रामीण टकटकी लगाए हैं—कब शांत होगा जलप्रवाह, कब कम होगा उफान। अभी के लिए उम्मीद और धैर्य ही उनका सहारा है।

इधर खम्हार गांव के पास खम्हार से फिटींगपारा, धौराभाठा मार्ग पर बने पुल पर पानी का विकराल रूप दिखाई दे रहा है। प्रचंड धाराओं से पुल मानो डगमगाता प्रतीत हो रहा है। जलराशि का प्रहार ऐसा कि राहगीरों को रुककर प्रकृति की गर्जना को निहारना पड़ रहा है।प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि इस वर्ष पहली बार हुई मूसलाधार वर्षा ने कोरजा नदी को उफान पर पहुँचा दिया है। उग्र धारा ने न केवल मार्ग को डुबो डाला है, बल्कि जनजीवन को भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। लोग घरों में सिमट गए हैं और राहों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।धरती पर बरसते मेघों ने जहाँ खेतों को जीवनदान दिया है, वहीं उफनती नदियाँ और पुलों पर बहता जल ग्रामीणों के लिए संकट का सबब बन गया है। फिलहाल, सबकी निगाहें आसमान पर टिकी हैं—कब थमेगा यह जलप्रलय।

फिलहाल, धरमजयगढ़ में जनजीवन वर्षा के उफान के आगे ठहर गया है और उम्मीद व धैर्य ही लोगों का सहारा बने हुए हैं।।




