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खास खबर: तेजी से बढ़ती हाथियों की संख्या को लेकर ग्रामीणों के माथे पर बढ़ी चिंता की लकीरें.. गांव में जन जीवन और उनकीआजीविका हो रही प्रभावित…हाथी समस्या पर पढ़िए ये खास रिपोर्ट..!

हाथियों की बढ़ती संख्या से ग्रामीणों की चिंताएं बढ़ी

धरमजयगढ़ मांड प्रवाह— धरमजयगढ़ के वन मण्डल में हाल ही में 120 हाथियों की मौजूदगी ने स्थानीय निवासियों के बीच चिंता का विषय बना दिया है। यह समस्या केवल वन्यजीवों की बढ़ती संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के निवासियों के जीवन और आजीविका पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है।

विभागीय जानकारी के अनुसार, ये हाथी विभिन्न स्थानों पर विचरण कर रहे हैं। उनकी उपस्थिति से किसान बहुत परेशान हैं, क्योंकि हाथी उनकी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। यह स्थिति किसानों के लिए अत्यधिक कठिनाई का कारण बन रही है। फसलें नष्ट होने से केवल आर्थिक नुकसान नहीं हो रहा, बल्कि यह लोगों की मानसिक तनाव का भी कारण बन रहा है।

हाल ही में तेजपुर गांव के पास हाथियों ने धावा बोला। इस घटना ने स्थानीय निवासियों को एकजुट होकर हाथियों को भगाने के लिए मजबूर कर दिया। रात के अंधेरे में, किसान अपनी बाइकों और टॉर्च के सहारे हाथियों को भगाने की कोशिश कर रहे थे। यह स्थिति दर्शाती है कि ग्रामीण कितने चिंतित हैं और किस प्रकार वे अपनी फसल और संपत्ति की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस पूरी स्थिति में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि वन विभाग के जिम्मेदार कर्मचारी घटनाओं के समय मौके पर नहीं होते। जब ग्रामीण हाथियों के हमलों का सामना कर रहे होते हैं, तब विभागीय कर्मचारी कहीं नजर नहीं आते। यह सवाल उठता है कि आखिरकार विभागीय कर्मचारी इस संवेदनशील मुद्दे पर संजीदा क्यों नहीं हैं। क्या उन्हें ग्रामीणों की समस्याओं की गंभीरता का एहसास नहीं है,या फिर वे अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो रहे हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए अत्यंत आवश्यक है कि स्थानीय प्रशासन और वन विभाग मिलकर काम करें। ग्रामीणों को हाथियों से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को विकसित करना होगा। इसके साथ ही, ग्रामीणों को इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए।

धरमजयगढ़ क्षेत्र में हाथियों की बढ़ती संख्या एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है। यह केवल वन्यजीवों का मामला नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन, कृषि और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव डाल रहा है। अधिकारियों को इस समस्या को गंभीरता से लेना होगा और प्रभावी कदम उठाने होंगे,ताकि ग्रामीणों को राहत मिल सके और हाथियों के साथ सह-अस्तित्व को सुनिश्चित किया जा सके,और मानव हाथी द्वंद को समाप्त किया जा सके।।

Aslam Khan

मेरा नाम असलम खान है, मैं MaandPravah.com का संपादक हूँ। इस पोर्टल पर आप छत्तीसगढ़ सहित देश विदेश की ख़बरों को पढ़ सकते हैं।

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